Gaya Ji New Name
Gaya Ji New Name: नीतीश कैबिनेट के द्वारा बिहार के ऐतिहासिक और धार्मिक कहे जाने वाले गया का नाम अब बदल कर गया जी रख दिया गया है क्योंकि यह मंगला गौरी भगवान विष्णु तथा विश्व के पिंडदान का पवित्र स्थल है इसीलिए 55 सालों से की गई मांग को पूर्ति कर दी गई और गया का नाम गया जी कर दिया गया।
Gaya Ji नाम क्यों दिया गया?
शुक्रवार के दिन बिहार के नीतीश कैबिनेट ने यह मंजूरी दे दी की 55 सालों से लगातार उठाती रही गया का नाम बदलने की मांग को अब परिवर्तन के आधार साकार कर दिया जाएगा। क्योंकि यह नाम सिर्फ एक शहर का नहीं है इस जगह पर ऐतिहासिक और धार्मिक सनातन के लिए एक पवित्र स्थान है जहां भगवान विष्णु के चरण चिन्ह स्थिर और पूरे विश्व के पिंडदान की जगह है। इसलिए लोगों के मांग 55 सालों से चली आ रही है और अब जाकर नीतीश कैबिनेट ने मां मंगला गौरी शक्तिपीठ जैसे धार्मिक स्थान पर उपस्थित विशेष आध्यात्मिक दर्जा प्रदान करने वाले गया शहर को नाम बदलकर गया जी रख दिया है।
विष्णुपद से गया का अर्थ क्या है?
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बताया जाता है कि गया पाल और विष्णु पद के प्रबंध कार्य समिति के अध्यक्ष शंभू लाल विट्ठल कहते हैं की गया का अर्थ विष्णु पद से है. क्योंकि यह एक धार्मिक स्थल है जहां लोग दुनिया से यहां पर पिंडदान करने तथा विष्णु भगवान के चरण पादुका का दर्शन करने आते हैं और इससे ज्यादा पवित्र स्थल गया में और कहीं नहीं हो सकता है।
इसलिए इस धार्मिक स्थान को गयाजी करने के लिए 1971 से गया पाल समाज के अध्यक्ष सरकार से मांग कर रही थी और रेलवे स्टेशन का नाम गया जी जंक्शन करने का अनुरोध भी किया था पर बिहार सरकार ने 2014 में भारत सरकार को नाम परिवर्तन के लिए एक पत्र लिखा था। और जब भी कोई बड़े नेता या मंत्री विष्णुपद के दर्शन करने के लिए गया में आते थे तो लोग उन्हें गयाजी करने की मांग को पर मुक्त से रखते थे।
गया पर दिव्य शक्ति कौन सी है?
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गया में स्थित 51 शक्तिपीठों में से एक सबसे दिव्य शक्ति मां मंगला गौरी है जो भस्म कूट के पर्वत पर स्थित है। ऐतिहासिक चर्चा के मुताबिक बताया जाता है की मां मंगला गौरी का स्थापना 1350 ईस्वी में माधवगिरी दंडी स्वामी ने करवाया था। क्योंकि साल भर यहां श्रद्धालुओं के भीड़ रहती और जैसे नवरात्र का महीना आता तो लोग आस्था और मनोकामना से इस जगह पर एक सैलाब उम्र पड़ता है और लोग दूर-दूर से पिंडदान करने तथा तीर्थ यात्रा के लिए इस जगह को दर्शन के भाव से आते हैं।
भगवान विष्णु का चरण चिन्ह कहां है?
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आपको बता दे कि जिस तरह से लोग मां मंगला गौरी से अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए दूर-दूर से आते हैं इस तरह भगवान विष्णु का चरण चिन्ह का दर्शन के लिए भी लोगों का सैलाब उमड़ आता है। भगवान विष्णु का मंदिर विष्णुपद हाग नदी के किनारे स्थित है जो की एक सार्वजनिक पवित्र स्थान है ऐतिहासिक बातों के अनुसार कहा जाता है कि इसका निर्माण इंदौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर ने 1787 में कराया था और भगवान विष्णु के 13 इंच लंबे चरण चिन्ह की स्थापना कराई थी। आपको बता दें कि आचार्य नवीनचंद मिश्र याज्ञिक के अनुसार यह चरण पादुका पितरों के मोक्ष का प्रमुख स्थल बताया जाता है।
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